कृष्ण कन्हाई जाने कहाँ छिप गयो रे
भजन के बोल -- Lyrics
कृष्ण कन्हाई जाने कहा छिप गयो री
ए जी मेरे ह्रदय में हा जी मेरे ह्रदय में उठे बिरह पीर/
कृष्ण कन्हाई...........
मुझे प्रीत का रोग लगाय गया, सावन मिलने का आय गया
उमड़ घुमड़ कर कारी बदरा छाय रही जी, ए जी देखो ठंडी ठंडी पडत फुहार
कृष्ण कन्हाई.....................
चहु ओर भई है हरियाली, पंछी चहके डाली – डाली
अब ना जुदाई सही जाये मेरे मोहन जी,ए जी मेरे जियरा में उठत हिलोरे
कृष्ण कन्हाई...........
तेरी बाट निहारु दिन रैना , तू ही है मोहन मेरा गहना
नैना गवाय मैंने रोये रोये, सावरे जी ए जी अब दासी की सुनलो
पुकार
कृष्ण कन्हाई...........
Artist- Hemant Devi and Latika Chauhan
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